‘द गोल्डन थ्रेड’ को मिला गोल्डन कोंच!
भारतीय फिल्म ‘द गोल्डन थ्रेड’ को 18वें एमआईएफएफ 2024 में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार मिला
एस्टोनिया की फिल्म ‘सॉर मिल्क’ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा के लिए सिल्वर कोंच जीता
पोलैंड की फिल्म ‘जिमा’ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय एनिमेशन के लिए सिल्वर कोंच जीता
‘6-ए आकाश गंगा’ को सर्वश्रेष्ठ भारतीय वृत्तचित्र फिल्म के लिए सिल्वर कोंच मिला
सिनेमा प्रेमियों और जोशीले लोगों, अपनी सांस थाम कर रखिए! 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में अपनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों, फिल्म निर्माताओं और तकनीशियनों के लिए बहुप्रतीक्षित पुरस्कार दिए जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी बेहतरीन कृतियों से दर्शकों और निर्णायक मंडल दोनों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। 18वें संस्करण के समापन के साथ ही हम आपके लिए विजेताओं की सूची लेकर आए हैं। तो चलिए जश्न की शुरुआत करते हैं!
निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म ‘द गोल्डन थ्रेड’ ने एमआईएफएफ 2024 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन कोंच पुरस्कार जीता। यह फिल्म औद्योगिक क्रांति के अंतिम अवशेषों पर आर्थिक बदलाव की ताकतों के प्रभाव के प्रति श्रद्धांजलि और टिप्पणी दोनों है। दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े फिल्म महोत्सव में नॉन-फिक्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के रूप में चुनी गई यह फिल्म न केवल मनुष्य और मशीन के बीच के रिश्ते को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि पूंजीवाद मनुष्य को केवल उसके श्रम के बराबर कैसे मानता है।
शीर्ष पुरस्कार की घोषणा करते हुए निर्णायक मंडल ने कहा, “फिल्म में दर्शाई गई शानदार कल्पना और ध्वनि एक सुंदर कहानी गढ़ती है जो हमें याद दिलाती है कि क्यों वृत्तचित्र अभी भी एक आकर्षक कला का रूप है।”
पुरस्कार में एक स्वर्ण शंख (गोल्डन कोंच), प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा फिल्म: ‘सॉर मिल्क’ (एस्टोनिया)
एस्टोनिया की वेरा पिरोगोवा द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘सॉर मिल्क’ को सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा फिल्म (शॉर्ट फिक्शन फिल्म) का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार में रजत शंख (सिल्वर कोंच) और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
सॉर मिल्क ने मां और बेटे के बीच के जटिल बंधन को बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया है, जो उम्मीद और निराशा से भरपूर एक कहानी है। फिल्म का सूक्ष्म और फिर भी कुशल निर्देशन दर्शकों को पारिवारिक संघर्ष और विकास की एक बेहतरीन कहानी के माध्यम से मार्गदर्शन करता है, जहां अनकही भावनाएं यात्रा को एक आकार देती हैं। यह फिल्म दर्शाती है कि एक मां और बेटे के बीच के असली बंधन भी कभी-कभी दूध की तरह फट सकते हैं।