कोरोनाकाल में रिजर्व आरओ और एआरओ
* चुनाव से पूर्व ही कंट्रोलरूम प्रभारी सहित कई अधिकारी संक्रमित
* सतर्कतावश शुरू किया गया रिजर्व अधिकारियों का प्रशिक्षण
कोविड 19 के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने इस बार प्रत्येक जिले में अतिरिक्त आरओ- एआरओ नियुक्त करने को कहा है। बुधवार से रिजर्व अधिकारियों का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है।
निर्वाचन प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका में रिटर्निंग अधिकारी (आरओ) होते हैं, जो हर विधानसभा में चुनाव प्रक्रिया के प्रभारी होते हैं। इनके साथ दो एआरओ नियुक्त रहते हैं। आरओ आमतौर पर एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, आयोग इन्हें ना सिर्फ चुनाव प्रक्रिया का प्रशिक्षण देता है, बल्कि तय परीक्षा पास करने के बाद ही यह जिम्मेदारी सौंपता है। इनका कोई विकल्प नहीं होता है। लेकिन इस बार कोविड संक्रमण को देखते हुए आयोग ने हर जिले में दो से चार अतिरिक्त आरओ और एआरओ को नियुक्त करने को कहा गया है।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप शाह की ओर से इस संबंध में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है। साथ ही बुधवार से आयोग की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण भी प्रारंभ कर दिया गया है। इधर, आयोग ने अन्य सभी कार्मिकों को भी रिजर्व रखते हुए उन्हें प्रशिक्षण देने को कहा है। चुनाव में करीब 50 हजार कर्मचारी सीधे तौर पर सेवाएं देंगे, जबकि सुरक्षा कर्मी और अन्य को मिलाकर यह संख्या एक लाख के पार जा रही है। आयोग पहले ही डबल वैक्सीन वाले कर्मियों को चुनाव ड्यूटी लगाने के निर्देश जारी कर चुका है।
कंट्रोलरूम प्रभारी सहित कई संक्रमित: कोरोना की मार निर्वाचन टीम पर भी पड़ रही है। सचिवालय में बनाए गए कंट्रोल रूम के प्रभारी अशोक पांडेय सहित कई अधिकारी कर्मचारी कोविड पॉजिटिव आ चुके हैं। इसके साथ ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में चुनाव प्रबंधन संभाल रहे अहम अधिकारियों में भी कोविड 19 के लक्षण हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।