क्रिप्टोकरेंसी वैध मुद्रा नहीं
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो एसेट में अंतर है। मुद्रा के लिए जरूरी है कि उसे भारतीय रिजर्व बँक की संप्रभु शक्ति हासिल हो। यह क्रिप्टो संपत्ति हो सकती है, मुद्रा नहीं। क्रिप्टो के बढ़ते चलन की वजह से टैक्स लगाया गया है। निर्मला सीतारमण, वित्तमंत्री
नई दिल्ली। बिटकॉइन इथोरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी भारत में वैध नहीं होगी। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने बुधवार को कहा कि क्रिप्टोकरेंसी या नॉन फंजीबल टोकन (एनएफटी) कभी लीगल टेंडर घोषित नहीं हो सकते। सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी डिजिटल रूपी ही वैध होगी।
आम बजट में डिजिटल एसेट्स से आय पर 30% कर की घोषणा से यह संदेश जा रहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को सरकार वैध बनाने जा रही है। सरकार ने बुधवार को इस पर स्पष्टीकरण दिया। सोमनाथन ने कहा, क्रिप्टो एसेट को सरकार की मंजूरी नहीं मिली है। कहा, इसके दाम निजी तरीके से दो लोगों के बीच निर्धारित होते हैं। आप सोना खरीदें, हीरा खरीदें या क्रिप्टो खरीदें, इनके दामों को सरकार कभी ऑथराइज या गारंटी तय नहीं करती।
‘डिजिटल रुपी’ हमारी भौतिक करेंसी का ही डिजिटल स्वरूप, नकदी में बदलना संभव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया कि प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा को नकदी में तब्दील किया जा सकेगा। डिजिटल रुपी हमारी फिजिकल करेंसी का ही डिजिटल स्वरूप होगा भारतीय रिजर्व बैंक इसे नियंत्रित करेगा। “आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कार्यक्रम में पीएम ने कहा, यह फिनटेक क्षेत्र में अवसरों के नए दार खोलेगा। केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) ऑनलाइन लेनदेन को और सुरक्षित बनाएगी किसी प्रकार का खतरा नहीं होगा। इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इससे नकदी के प्रबंधन, छपाई, परिवहन संबंधी बोझ कम होंगे
वित्त सचिव सोमनाथन ने बताया, डिजिटल रूपी को जवाबदेही आरबीआई की होगी। हालांकि, प्रकृति डिजिटल होगी। हम डिजिटल रुपी से गैर डिजिटल उत्पाद खरीद सकते हैं। यह ठीक वैसा है, जैसे हम यूपीआई प्लेटफार्म से आइसक्रीम या दूसरी चीजें खरीद सकते हैं।