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July 20, 2025

Russia Ukraine War: रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध से कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा, पाबंदी से क्रूड आपूर्ति का बढ़ सकता है संकट

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आपूर्ति संकट की आशंका बढ़ने से बुधवार को वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 1.68 डॉलर या 1.3 फीसदी बढ़कर 129.66 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। अमेरिकी बेंचमार्क डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) 1.60 डॉलर या 1.3 फीसदी तेजी के साथ 125.30 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से कच्चे तेल में तेजी का दौर जारी है।

रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिका की घोषणा के बाद वैश्विक बाजार में कच्चा तेल करीब 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस से कच्चा तेल और अन्य ऊर्जा आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। उधर, ब्रिटन ने कहा कि वह 2022 के अंत तक रूसी तेल आयात को खत्म कर देगा। रूस प्रतिदिन 40-50 लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात करता है। ऐसे में रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध से आपूर्ति संकट की आशंका बढ़ गई है।

आपूर्ति संकट की आशंका बढ़ने से बुधवार को वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 1.68 डॉलर या 1.3 फीसदी बढ़कर 129.66 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। अमेरिकी बेंचमार्क डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) 1.60 डॉलर या 1.3 फीसदी तेजी के साथ 125.30 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से कच्चे तेल में तेजी का दौर जारी है। सोमवार को कच्चे तेल 14 साल के उच्च स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। तेल ब्रोकर पीवीएम के तमस वर्गा का कहना है कि वर्तमान संकट का निकट भविष्य में कोई समाधान नहीं दिख रहा है। इससे कच्चे तेल की कीमतें में तेजी बनी रहेगी।

कमोडिटी में तेजी 2.8 फीसदी पहुंच सकता है कैड
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का कहना है कि रूस-यूक्रेन संकट के कारण कमोडिटी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसका सीधा असर देश के चालू खाता घाटे (कैड) पर होगा। एजेंसी ने कहा कि कमोडिटी में तेजी से चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में कैड जीडीपी का 2.8 फीसदी या 23.6 अरब डॉलर पहुंच सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह कैड का 13 तिमाहियों का उच्च स्तर होगा।2021-21 की तीसरी तिमाही में कैड 0.3 फीसदी या 2.2 अरब डॉलर रहा था।

भारत के रक्षा क्षेत्र पर असर नहीं : नीति आयोग
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि रूस पर प्रतिबंध से भारत के रक्षा क्षेत्र पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि रूस के पास अंतर्निहित सैन्य शक्ति है। उसके पास पास सैन्य साजो-सामान के विनिर्माण के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं मौजूद हैं। वह उत्पादन क्षमताओं के मामले में कमोबेश स्वावलंबी है। मेरे विचार में रिजर्व काफी अधिक है।
रूस पर अप्लकालिक प्रतिबंध भारत के लिए कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहले ही कहा है कि अब सरकार 68 फीसदी रक्षा साजो-सामान स्वदेशी श्रेणी के चाहती है। यही वजह है कि 2022-23 के बजट में वित्तमंत्री ने कहा था कि देश में अधिक से अधिक उद्योग होने चाहिए, जो सशस्त्र बलों के लिए सैन्य साजो-सामान बनाएं।

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