You dont have javascript enabled! Please enable it! देश के टाॅप खिलाड़ी स्वप्निल हों या दीपिका सभी दिख रहे सहज - Newsdipo
June 18, 2025

देश के टाॅप खिलाड़ी स्वप्निल हों या दीपिका सभी दिख रहे सहज

0
WhatsApp Image 2025-02-06 at 19.04.24

यहां पाॅजिटिव वाइब्स, खेल लायक अच्छा माहौल’
देश के टाॅप खिलाड़ी स्वप्निल हों या दीपिका सभी दिख रहे सहज
-ओलंपियन स्वप्निल कुसाले कांस्य जीतकर भी दिखे खुश
-दीपिका ने कहा-खेलों के लिए अब अच्छा काम हो रहा
देहरादून, 06 फरवरी। पेरिस ओलंपिक में शूटिंग स्पर्धा में कांस्य जीतने वाले स्वप्निल के हिस्से राष्ट्रीय खेलों में भी यही पदक आया। उत्तराखंड के खेल माहौल पर उनकी टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण रही। उन्होंने कहा-‘यहां पाॅजिटिव वाइब्स है’। दीपिका कुमारी पेरिस ओलंपिक में पदक जीतते-जीतते रह गई थीं, लेकिन तीरंदाजी में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह हर किसी को नसीब नहीं होता। दीपिका भी उत्तराखंड आकर अच्छा महसूस कर रही हैं।

त्रिशूल शूटिंग रेंज से स्वप्निल भी प्रभावित
-महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स काॅलेज परिसर स्थित त्रिशूल शूटिंग रेंज से स्वप्निल भी प्रभावित नजर आए। शूटिंग के स्टार खिलाड़ी सरबजोत की तरह ही उन्होंने भी रेंज को बहुत बढ़िया बताया। स्वप्निल ने कहा-शूटिंग रेंज का मैनेजमेंट बहुत अच्छा है। लाइट, ग्रीनरी कमाल की है। स्कोरिंग अच्छी हो रही। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा-अब शूटिंग अमीरों का खेल नहीं रह गया है। खेलोे इंडिया खेलो जैसे आयोजन के बाद अब हर तबके का योग्य बच्चा आगे आ सकता है। उन्होंने कहा-ओलंपिक खेलने के बाद राष्ट्रीय खेल में उतरने में उन्हें कोई हिचक नहीं हुई। खेल हर स्थिति में खेल होता है और हारना-जीतना लगा रहता है। खेल में हार बहुत कुछ सिखाती है। उन्होंने कहा-सरबजोत हारने के बावजूद यहां से सीख कर गया होगा। राष्ट्रीय खेलों में स्वप्निल महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

समर्पण औैर अनुशासन पर दीपिका का जोर
-दीपिका कुमारी की गिनती देश के शीर्ष तीरंदाजों में होती है। राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के मैदान में अभ्यास के दौरान वह उतनी ही ऊर्जावान दिखती हैं, जितना कि कोई नया खिलाड़ी दिखता है। दीपिका कहती हैं-सफलता के लिए समर्पण और अनुशासन दो मूलमंत्रों को अपनाना जरूरी है। दीपिका बताती हैं-जब मैने खेलना शुरू किया, तब आर्चरी को को कोई नहीं जानता था। बताना पड़ता था कि तीरंदाजी वो खेल है, जो महाभारत में योद्धा किया करते थे। मगर अब स्थिति बदल रही है। दीपिका के अनुसार-पिछले 12-14 वर्षों में आर्चरी को लोग जानने लगे हैं। खेलों के विकास के लिए काम हो रहा है। दीपिका कुमारी राष्ट्रीय खेलों में झारखंड की तरफ से खेल रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

समाचार शायद आपसे छूट गया हो