कर्ज संकट का सामना कर रही प्रमुख मोबाइल सर्विस कंपनी वोडाफोन आइडिया (बीआईएल) में केंद्र सरकार बड़ी हिस्सेदार बन सकती है। वीआईएल ने सरकार को चुकाए जाने वाले 16 हजार करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है, जो कंपनी में लगभग 36 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर होगा। बीआईएल ने बताया कि यदि योजना पूरी हो जाती है, तो सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में एक बन जाएगी। कंपनी पर इस समय 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी ने बताया कि निदेशक मंडल ने 10 जनवरी, 2022 को हुई बैठक में स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों और एजीआर बकाया से संबंधित कुल ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी है। इस देनदारी का सकल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) लगभग 16 हजार करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
10 रुपये की दर से आवंटन:वीआईएल ने कहा, चूंकि कंपनी के शेयरों की औसत कीमत 14 अगस्त | 2021 के पार वैल्यू से नीचे थी, | इसलिए सरकार को 10 रुपये प्रति शेयर की दर से शेयरों का आवंटन किया जाएगा। प्रस्ताव पर दूरसंचार | विभाग की मंजूरी ली जानी है।
सबसे बड़ी होगी हिस्सेदारी:कंपनी के अनुसार योजना पूरी होती है तो वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी सबसे बड़ी होगी, जो कि 35.8% के करीब होगी। वहीं प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 28.5% (वोडाफोन समूह) और 17.8% (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी।