* 18 मार्च 2016 को विधानसभा में की थी कांग्रेस सरकार से बगावत
* लैंसडौन विधानसभा से बहु अनुकृति गुसाईं को कांग्रेस का टिकट मिलने की संभावना
नई दिल्ली। छह साल पहले कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए हरक सिंह को अंततः कांग्रेस ने फिर अपना लिया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। कांग्रेस में शामिल होने से पूर्व 3.15 बजे हरक सिंह व अनुकृति रकाबगंज स्थित वॉर रूम में गए। पूर्व सीएम हरीश रावत की ना और फिर माफी आदि-आदि के बाद भी बागी हरक को वापस कांग्रेस में लेकर दस जनपथ ने भाजपा को उसी की भाषा में जवाब देने की कोशिश की है। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने हरक की वापसी के लिए अंतिम समय तक जोर लगाया।
छह दिन की कशमकश के बाद मिला मीठा फल: सोनिया व राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने का अंतिम फैसला किया गया। हरक की वापसी में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह व प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव लंबे समय से जुटे हुए थे। लेकिन पूर्व सीएम व चुनाव प्रचार अभियान समिति के आल इन आल हरीश रावत ने 2016 के धोखे को उठाते हुए हरक की वापसी को एक सीमा तक रोके रखा।
गौरतलब है कि कांग्रेस में शामिल होने की खबरों के बीच भाजपा नेतृत्व ने 16 जनवरी के दिन हरक सिंह को पार्टी की सदस्यता व मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। उस दिन से हरक दिल्ली में डेरा डालकर सोनिया-राहुल की दरई झंडी के इंतजार में थे।
इससे पूर्व,यशपाल आर्य व उनके पुत्र संजीव आर्य भी कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। हरक सिंह रावत ने 18 मार्च 2016 को नौ कांग्रेसी विधायकों के साथ विधानसभा में हरीश रावत सरकार गिरा बड़ा राजनीतिक उलटफेर किया था। हरक सिंह तिवारी, विजय बहुगुणा व हरीश रावत सरका मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा 2007 में भाजपा सरक समय नेता विपक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं।