• देहरादून में वर्ष 2015-16 में हटाल में जीआईसी बनाने के लिए 1.46 करोड़ रुपये मंजूर हुए। विभाग ने जमीन के इंतजाम से पहले ही 45 लाख रुपये निर्माण एजेंसी जलनिगम को दे दिए। तीन साल बाद 20 मई 2018 को यह काम शुरू हुआ। तीन साल तक 45 लाख रुपये जलनिगम के पास पड़े रहे।
• देहरादून स्थित एससीईआरटी में बिना टेंडर वाहन किराए पर लिए और जीएसटी के रूप में 66 हजार 906 रुपये ज्यादा लुटा दिए।
शिक्षा निदेशालय ने उत्तरांचल लोक पुस्तकालय अधिनियम 2005 के तहत अधिसूचित न होने के बावजूद निजी लाइब्रेरी को 10 करोड़ दे दिए।
• महानिदेशक कार्यालय ने बिना दर मंजूर कराए ही 2.74 लाख रुपये की खरीदारी कर डाली।
• टिहरी में डीईओ बेसिक कार्यालय ने 222 स्कूलों को बार-बार औपबंधिक मान्यता दी।
शिक्षा में सुधार पर शिक्षा अफसरों का ध्यान भले ही न हो, लेकिन घपले घोटाले दबाने में इनका कोई सानी नहीं। प्रधान महालेखाकार लेखा परीक्षा (कैग) की जांच में पकड़े गए घपलों का हश्र इसे साबित कर रहा है।
2010-11 से वर्ष 2019-20 के बीच शिक्षा विभाग में मिले 443 घपले घोटालों में अफसरों ने कार्रवाई तक नहीं की। भ्रष्टाचार और लापरवाही से जुड़े • मामलों पर शिक्षा विभाग की लापरवाही पर कैग ने शासन को कड़ा पत्र भेजकर तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा की है। कैग की नाराजगी के बाद माध्यमिक शिक्षा • निदेशक सीमा जौनसारी ने सभी सीईओ को कैग की 20 पेज की सूची भेजते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कैग द्वारा उठाए गए सभी मामलों पर सभी सीईओ को 15 मार्च तक जांच व कार्रवाई करने और विभागीय स्पष्टीकरण तैयार करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। इस माह शासन को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
-सीमा जौनसारी, शिक्षा निदेशक माध्यमिक