यूक्रेन-रूस संकट का भारत में आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?
यूक्रेन-रूस के बीच पिछले 24-48 घंटों में तेज़ी से घटनाक्रम बदले हैं.
एक तरफ़ रूस ने यूक्रेन में विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाके दोनेत्स्क और लुहान्स्क को मान्यता दे दी है. इसकी प्रतिक्रिया में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने रूस पर सीमित प्रतिबंध लगाए हैं.
वहीं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा है कि रूस, यूक्रेन पर पूरे प्रभाव से आक्रमण करने के अंतिम बिंदु पर है. संभव है कि वह अगले 24 घंटे के भीतर यूक्रेन पर हमला कर भी दे.
ऐसे में आशंका ये भी जताई जा रही है कि संकट के ये बादल काफ़ी दिनों तक यूं ही बने रह सकते हैं.
लेकिन अगर आप भारत में रह रहे हैं और ये सोच रहे हैं कि यहाँ से 5 हजार किलोमीटर दूर, रूस-यूक्रेन के बीच जो कुछ चल रहा है उसका असर भारत पर नहीं होगा, तो ऐसा भी नहीं है. वहाँ के घटनाक्रम से भारतीय अछूते नहीं रह सकते.
भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता भी है और भारत के काफ़ी नागरिक इन दोनों देशों में रहते हैं. यूक्रेन में ज़्यादातर लोग पढ़ने जाते हैं. वही रूस में पढ़ाई के साथ-साथ कई भारतीय नौकरी के लिए भी जाते हैं.
दोनों देशों के बीच आपसी तनाव की वजह से ना सिर्फ़ भारतीय नागरिकों को आने वाले दिनों में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि आपके और हमारे घर का बजट तक गड़बड़ा सकता है.