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रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए मित्र देशों से सीधे सौदा करेगा भारत

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नई दिल्ली। रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए भारत अब नई रणनीति के साथ मैदान में उतर रहा है। यह तय किया गया है कि उन देशों की सरकारों से भारत सरकार सीधे बात करेगी जिनसे मित्रतापूर्ण संबंध हैं। उम्मीद है कि दो सरकारों के बीच सीधी बात से रक्षा निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।

दरअसल, भारत अपने पड़ोसी देशों व अन्य छोटे देशों से अच्छे संबंध कायम करके रखता है। साथ ही उनकी हरसंभव मदद भी करता है। चाहे कोरोना की वैक्सीन हो, यूक्रेन से छात्रों की वापसी हो या द्विपक्षीय संबंधों के तहत दी जाने वाली मदद। इसी कड़ी में भारत मॉरीशस मालदीव, श्रीलंका, नेपाल, भूटान,इथोपिया, अरब देशों, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया समेत यूरोप व लैटिन अमेरिका के कई देशों के संपर्क में है। यहां स्थित भारतीय दूतावासों को भी इस बारे में कहा गया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, भारत की तरफ से जिन हथियारों के निर्यात की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, उनमें हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित ड्रोनियर 228 विमान, एडवांस लाइट हैलीकाप्टर स्वदेशी लडाकू विमान , तेजस, गश्ती और जंगी पोत, सर्विलांस सिस्टम, ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम, राइफल और अन्य छोटे हथियार व संरक्षा प्रदान करने वाले उपकरण शामिल हैं।

35 हजार करोड़ के निर्यात का लक्ष्य:भारत रक्षा निर्यात बढ़ाना चाहता है। भारत ने 2025 तक निर्यात बढ़ाकर 35 हजार करोड प्रति वर्ष करने का लक्ष्य रखा है। 2014-15 में देश का वार्षिक रक्षा निर्यात करीब दो हजार करोड़ रुपये था। 2019-20 में यह बढ़कर नौ हजार करोड़ तक पहुंच चुका है।

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