निर्देश : निजी मेडिकल कॉलेजों में 50% सीटों पर सरकारी दर से फीस
निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस के बराबर होगी, जबकि बाकी 50 फीसदी सीटों पर फीस का निर्धारण वास्तविक लागत के आधार पर होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने नए सत्र से मेडिकल कॉलेजों के लिए यह नियम बना दिया है। इस बाबत गुरुवार को आदेश जारी किए गए हैं।
एनएमसी एक्ट 2019 के तहत सभी निजी मेडिकल कॉलेजों एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50% एमबीबीएस और पीजी सीटों की फीस निर्धारित करने का अधिकार सरकार को दिया गया है। इस सिलसिले में जारी मशविरे की प्रक्रिया को हाल में पूरा किया गया है।
विभिन्न पक्षों की राय जानने के बाद अंतिम फॉर्मूला तय किया गया है। राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज की फीस के बराबर फीस ही निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों के लिए तय की जाएगी इन 50% सीटों पर उन छात्रों को एडमिशन मिलेगा, जिन्हें सरकारी कोटे के तहत सीट आवंटित हुई है।
बता दें कि देश में एमबीबीएस और पीजी की सीटें सवा लाख के करीब हैं, जिनमें 60 फीसदी के करीब निजी क्षेत्र में हैं। इस प्रकार निजी क्षेत्र की 50 फीसदी सीटों पर फीस कम होने से हर साल हजारों छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। विभिन्न राज्यों के सरकारी कॉलेजों में मेडिकल की फीस 20. हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक है।
वार्षिक लेखा बनेगा आधार
आदेश में कहा गया है कि बाकी शेष सीटों पर फीस का निर्धारण राज्य की फीस निर्धारण समिति के द्वारा वास्तविक लागत के आधार पर किया जाएगा। इसमें मेडिकल कॉलेज या डीम्ड विवि के पिछले साल के वार्षिक लेखा को आधार बनाया जाएगा।
कैपिटेशन फीस नहीं लेंगे
किसी भी कॉलेज को कैपिटेशन फीस लेने की अनुमति नहीं होगी। फीस का निर्धारण एक साल या अधिकतम तीन साल के लिए कर सकेंगे। हर साल पांच फीसदी की वृद्धि की जा सकेगी। हॉस्टल, पुस्तकालय, मैस की फीस भी वास्तविक खर्च के आधार पर तय होगी।