उत्तराखंड के कई कोषागारों में करोड़ों रुपये के गबन के मामले सामने आने के बाद सरकार ने सभी कोषागारों की जांच शुरू करा दी है। कोषागार कर्मचारियों के खातों की भी गोपनीय जांच कराई जा रही है। इससे कोषागार कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
हाल ही में नरेंद्रनगर के कोषागार में 2.48 करोड़, नई टिहरी के कोषागार में 2.21 करोड़, उत्तरकाशी में 42 लाख, पौड़ी में 15 लाख और नैनीताल स्थित कोषागार में करीब 12 लाख रुपये का गबन सामने आया। कई कोषागारों में करोड़ों रुपये की अनियमितताएं मिलने के बाद सरकार ने उत्तराखंड के सभी कोषागारों में जांच कराने के आदेश दे दिए हैं।
वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया कि उक्त कोषागारों में वर्ष 2017 से सितंबर 2021 तक अनियमितता सामने आई है। इन कोषागारों में आरोपी कर्मचारियों ने ऐसे रिटायर कर्मियों के पेंशन खातों में गड़बड़ी की, जो जीवित नहीं थे। उन्होंने कागजों में हेरफेर कर रिटायर मृत कर्मचारियों को जिंदा दिखाते हुए उनकी पेंशन का भुगतान अपने खातों और में अपने रिश्तेदारों के खातों में कराया। इसके लिए कोषागार के कंप्यूटरों में छेड़छाड़ की गई। इस मामले में जांच के दौरान पूरे राज्य में इस तरह का घोटाला होने की आशंका जताई गई। इस पर पूरे राज्य के सभी कोषागारों और उनके कर्मचारियों के खातों की की जांच शुरू करने का निर्णय लिया गया।
श्रीनगर में खुलासे के बाद लौटाई रकम श्रीनगर श्रीनगर उपकोषागार में भी करीब 38.50 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया। खुलासा होने पर आरोपियों ने उक्त रकम उपकोषागार में वापस जमा भी कर दी है। कोतवाली श्रीनगर के एसएसआई रणवीर रमोला ने बताया कि उप कोषाधिकारी नंदन सिंह खत्री ने सोमवार देर शाम लेखाकार सुभाष चंद्र और सहायक लेखाकार हरिदर्शन सिंह बिष्ट के खिलाफ तहरीर दी। आरोप है कि इन दोनों ने 2016 से 2019 के बीच 75 मृतकों को जीवित दिखाकर उनकी पेंशन अपने बैंक खाते में ट्रांसफर की। सुभाष पर 17.34 लाख और हरिदर्शन पर 21.27 लाख के गबन का आरोप है। इस पर लेखाकार सुभाष के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है जबकि दूसरे आरोपी हरिदर्शन सिंह की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने कहा – कि पूरी जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। खत्री ने बताया कि मामले का खुलासा होने पर दोनों के परिजनों ने यह रकम वापस ट्रेजरी में जमा करा दी है।