उपनलकर्मियों के नियमितीकरण की मांग: जन संघर्ष मोर्चा ने मुख्यमंत्री से की अपील! ✊🏽📢

देहरादून – जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष श्री रघुनाथ सिंह नेगी ने आज माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उपनलकर्मियों के नियमितीकरण और उन्हें मिलने वाले लाभों से जुड़े मुद्दे को गंभीरता से उठाया। नेगी ने मुख्यमंत्री से उच्च न्यायालय के आदेश (12/11/2018) का तुरंत अनुपालन करने और सुप्रीम कोर्ट में लंबित रिव्यू पिटिशन वापस लेने की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया। 🙏🏽
“सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन वापस ले!” ⚖️🛑
नेगी ने कहा कि सरकार को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिव्यू पिटिशन वापस लेनी चाहिए, ताकि उपनलकर्मियों का नियमितीकरण प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए। उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर 2024 को सरकार की एसएलपी खारिज होने के बाद 8 नवंबर 2024 को रिव्यू पिटिशन दायर की गई थी, जो अभी भी लंबित है।
“कब तक इंतज़ार करेंगे ये अल्प वेतन भोगी कर्मी?” 😔💸
नेगी ने जोर देकर कहा, “सरकार ने इन कर्मियों के नियमितीकरण का आश्वासन दिया था, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ!” उन्होंने सवाल उठाया, “इन कर्मचारियों के परिवार का गुज़ारा कैसे चलेगा? क्या सरकार को इनकी चिंता नहीं?”
“विधायकों के वेतन बढ़ाने में तेज़ी, लेकिन उपनलकर्मियों के हक़ की लड़ाई में खामोशी!” 🎤🔇
नेगी ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “जब विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने की बात आती है, तो पूरा विधानसभा एकजुट हो जाता है। लेकिन जब उपनलकर्मियों के हक़ की बात आती है, तो सबकी ज़ुबानें सिल जाती हैं!”
“हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करे सरकार!” 👨⚖️📜
उन्होंने याद दिलाया कि उच्च न्यायालय ने 12 नवंबर 2018 को सरकार को निर्देश दिया था कि उपनलकर्मियों को नियमित किया जाए और उन्हें अन्य लाभ दिए जाएं। लेकिन सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे खारिज कर दिया गया। अब सरकार को कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हुए इन कर्मियों को उनका हक़ देना चाहिए।
निष्कर्ष: “सरकार जल्द से जल्द न्यायसंगत फैसला ले!” ⏳⚖️
जन संघर्ष मोर्चा की मांग स्पष्ट है – सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित रिव्यू पिटिशन वापस ले, उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करे और उपनलकर्मियों को नियमित कर उनके भविष्य को सुरक्षित करे।
✍️ आखिर कब मिलेगा इन मेहनतकश कर्मियों को उनका हक?
📢 सरकार! अब वक्त है ठोस कार्रवाई का!