कभी सोचा न था… नैतिकता का इतना पतन होगा: सुप्रीम कोर्ट
कोरोना मुआवजे के फर्जी दावों पर शीर्ष अदालत नाराज, कैग से जांच कराने के दिए संकेत
■कोरोना महामारी की वजह से देश के पर्यटन उद्योग से जुड़े 2.15 करोड़ से ज्यादा लोग बीते दो साल में बेरोजगार हो गए।
●कोविड़ की पहली लहर में पर्यटकों की आवक 93 फीसदी तक घट गई थी। इसके बाद दूसरी लहर में 79 फीसदी पर्यटक कम आए। तीसरी लहर में 64 फीसदी कम पर्यटक आए।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना मुआवजे के फर्जी दावों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारी नैतिकता का इतना पतन हो सकता है। शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों की ओर से जारी फर्जी प्रमाणपत्र पर चिंता जाहिर की। कहा, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से इसकी जांच के निर्देश दे सकते हैं।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र सरकार की भी खिंचाई की, क्योंकि पिछली तारीख पर दिए निर्देश के बावजूद सरकार समस्या को उजागर करते हुए औपचारिक आवेदन दायर करने में विफल रही। •पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आवेदन दाखिल करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है। इससे पहले, मेहता ने सोमवार को डॉक्टरों द्वारा बेईमान लोगों को अनुग्रह राशि का दावा करने के लिए जारी किए जा रहे फर्जी प्रमाणपत्र की समस्या की ओर इशारा किया। इस पर पीठ ने कहा, हमने दुरुपयोग पर पहले विचार नहीं किया था। पीठ ने यह भी कहा, अगर इसमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला है। इससे पहले सात मार्च को भी शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों द्वारा कोविड मुआवजे के दावे के लिए फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने पर चिंता व्यक्त की थी।
हर मौत के लिए 50 हजार का मुआवजा, न कि प्रभावित परिवार के हर बच्चे के लिए: शीर्ष अदालत ने साफ किया, 50 हजार रुपये मुआवजे का आदेश कोविड-19 से हुई प्रत्येक मौत के लिए भुगतान करने का है, न कि प्रभावित परिवार के प्रत्येक बच्चे को किया जाना है। असम की ओर से पेश वकील दीक्षा राय ने इस बारे में आवेदन दिया था।
680 दिन बाद सबसे कम 2,503 संक्रमित
देश में अब तक एक दिन में कोरोना के सबसे कम 2,503 नए मामले सोमवार को दर्ज किए गए 680 दिन में यह सबसे कम आंकड़ा है। इस बीच, इलाज करा रहे मरीज 36,168 रह गए। यह भी 675 दिन में सबसे कम है। 24 घंटे में 27 की मौत हुई है।