बस्तड़ी की बसंती दीदी को पद्म पुरस्कार
पिथौरागढ़। पर्यावरण के लिए समर्पित बसता देवी (बसंती दोदी) को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा। मंगलवार को अन्य लोगों के -साथ उनको भी पदमश्री पुरस्कार 2022 देने की घोषणा की गई।
पिथौरागढ़ जिले के वस्तड़ी सिंगाली निवासी बसती देवी का विवाह छोटी उम्र में हो गया था महत्व 12 साल की उम्र में वह विधवा हो में गई। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारों पति की मृत्यु के बाद यह सरला बहन के लक्ष्मी आश्रम में चली गई और किशोरावस्था कौसानी के उसी लक्ष्मी आश्रम में बिताई यहां से उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की वर्ष 2003 में उन्होंने अमर उजाला एक लेख पढ़ा जिसमें बनों की कटाई से नदियों पर होने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया था और जंगलों की कटाई से कोसी के 10 साल में मर जाने का जिक्र था। इस लेख को पढ़ने के बाद बसंती कोसी को बचाने में जुट गई।
उनकी ओर से किए गए सामूहिक प्रयास से कोसी को संरक्षित करने में बहुत हद तक सफलता मिली। उन्होंने महिलाओं को अपने जंगल के संरक्षण के लिए समुदाय आधारित संगठन बनाने के लिए राजी किया। उन्होंने वन अधिकारियों के साथ समझौता किया, जिसके बाद न तो वन विभाग और न ग्रामीणों ने लकड़ी काटी वन विभाग की सूखी लकड़ी पर ग्रामीणों के अधिकार को मान्यता मिली। मार्च 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में बसंती देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया 2016 में 11 जनवरी को केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने देवी पुरस्कार दिया। उन्हें पर्यावरण के लिए फेमिना घूमन जुरी अवार्ड 2017 दिया गया।