You dont have javascript enabled! Please enable it! प्रधानमंत्री ने 'निर्बाध ऋण और आर्थिक विकास के लिए तालमेल' विषय पर सम्मेलन को संबोधित किया - Newsdipo
December 23, 2024

प्रधानमंत्री ने ‘निर्बाध ऋण और आर्थिक विकास के लिए तालमेल’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित किया

0
unnamed (2)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘निर्बाध ऋण और आर्थिक विकास के लिए तालमेल’ विषय पर सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने बीते 6-7 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में जो रिफॉर्म किए, बैंकिंग सेक्टर का हर तरह से सपोर्ट किया, उस वजह से आज देश का बैंकिंग सेक्टर बहुत मजबूत स्थिति में है। उन्होंने कहा कि बैंकों की फाइनेंशियल हेल्थ अब काफी सुधरी हुई स्थिति में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले की जितनी भी परेशानियां थीं, चुनौतियां थीं हमने एक-एक करके उनके समाधान के रास्ते तलाशे हैं। श्री मोदी ने कहा, “हमने एनपीए की समस्या को एड्रेस किया, बैंकों को रिकैपिटलाइज किया, उनकी ताकत को बढ़ाया। हम आईबीसी जैसे रिफॉर्म लाए, अनेक कानूनों में सुधार किये, डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल को सशक्त किया। कोरोना काल में देश में एक डेडिकेटेड स्ट्रेस्ड एसेट मैनेजमेंट वर्टिकल का गठन भी किया गया।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत के बैंकों की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो देश की इकॉनॉमी को नई ऊर्जा देने में, एक बड़ा पुश देने में और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। मैं इस फेज को भारत के बैंकिंग सेक्टर का एक बड़ा माइल स्टोन मानता हूं।” हाल के वर्षों में उठाए गए कदमों ने बैंकों के लिए एक मजबूत पूंजी आधार तैयार किया है। बैंकों के पास पर्याप्त तरलता है और एनपीए के प्रावधान के लिए कोई बैकलॉग नहीं है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भारतीय बैंकों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक मील का पत्थर होने के अलावा, यह फेज एक नया प्रारंभिक बिंदु भी है। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर को वेल्थ क्रिएटर्स और जॉब क्रिएटर्स का समर्थन करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह समय की मांग है कि अब भारत के बैंक अपनी बैलेंस शीट के साथ-साथ देश की संपत्ति को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम करें।”

प्रधानमंत्री ने ग्राहकों को सक्रिय रूप से सेवा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और बैंकों से ग्राहकों, कंपनियों और एमएसएमई को उनकी जरूरतों का विश्लेषण करने के बाद अनुकूल समाधान प्रदान करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने बैंकों से इस भावना को दूर करने का आग्रह किया कि वे अप्रूवर हैं और सामने वाला अप्लीकेंट, वे दाता हैं और सामने वाला याचक। इस भावना को छोड़कर अब बैंकों को पार्टनरशिप का मॉडल अपनाना होगा। उन्होंने जन धन योजना को लागू करने में उत्साह के लिए बैंकिंग सेक्टर की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकों को सभी हितधारकों के विकास में हिस्सेदारी महसूस करनी चाहिए और विकास की गाथा में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। उन्होंने पीएलआई का उदाहरण देते हुए कहा कि आप सभी पीएलआई स्कीम के बारे में जानते हैं। इसमें सरकार भी उत्पादन पर भारतीय मैन्युफैक्चर्स को प्रोत्साहन देकर कुछ ऐसा ही कर रही है। पीएलआई स्कीम के तहत भारत के मैन्युफैक्चर्स को अपनी कपैसिटी कई गुना बढ़ाने और खुद को वैश्विक कंपनियों में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक अपने सहयोग और विशेषज्ञता के जरिए परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में जो बड़े बदलाव हुए हैं और जो योजनाएं लागू की गई हैं, उनके कारण देश में आंकड़ों का एक विशाल पूल तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वामित्‍व और स्वनिधि जैसी प्रमुख योजनाओं द्वारा प्रस्तुत अवसरों के बारे में चर्चा की और बैंकों से इन योजनाओं में भाग लेने और अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा।

वित्तीय समावेशन के समग्र प्रभाव के बारे में श्री मोदी ने कहा कि आज जब देश फाइनेंशियल इनक्लुजन पर इतनी मेहनत कर रहा है, तब नागरिकों के प्रोडक्टिव पोटेंशियल को अनलॉक करना बहुत जरूरी है। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर द्वारा हाल में ही खुद उनके द्वारा की गई एक रिसर्च का उदाहरण देते हुए कहा, जैसे अभी बैंकिंग सेक्टर की ही एक रिसर्च में सामने आया है कि जिन राज्यों में जन-धन खाते जितने ज्यादा खुले हैं, वहां क्राइम रेट उतना ही कम हुआ है। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिस पैमाने पर कॉरपोरेट और स्टार्ट-अप आगे आ रहे हैं वह अभूतपूर्व है। ऐसे में मजबूती के लिए इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने बैंकिंग सेक्टर से खुद को राष्ट्रीय लक्ष्यों और वादों से जोड़कर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने मंत्रालयों और बैंकों को एक साथ लाने के लिए वेब आधारित प्रोजेक्ट फंडिंग ट्रैकर की प्रस्तावित पहल की प्रशंसा की। उन्होंने सुझाव दिया कि यह बेहतर होगा कि इसे गतिशक्ति पोर्टल में एक इंटरफेस के रूप में जोड़ा जाए। उन्होंने कामना करते हुए कहा कि आजादी के ‘अमृत काल’ में भारतीय बैंकिंग सेक्टर बड़ी सोच और इनोवेटिव दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *