ओमीक्रोन संक्रमण ने वैज्ञानिकों को उलझाया
कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को लेकर वैज्ञानिक अभी भी उलझन में हैं, क्योंकि इसकी भयावहता को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में जहां इसका प्रकोप सबसे ज्यादा रहा है, वहां किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि इसके संक्रमण के मामले हल्के हैं तथा पूर्व के संक्रमणों की तुलना में अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत कम पड़ रही है।
नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि ओमीक्रोन संक्रमण में पूर्व की तुलना में अस्पताल में भर्ती किए जाने की दर 29 फीसदी कम है। यह दावा एक स्वास्थ्य बीमा कराने वाली एजेंसी के आंकड़ों को आधार बनाकर किया गया है। लेकिन इसी रिपोर्ट में डेनमार्क के आंकड़ों का जिक्र किया गया है, जिसमें दावा है कि ओमीक्रोन एवं डेल्टा पीड़ितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर में अंतर नहीं दिखता है। ब्रिटेन में भी ओमीक़ोन के मामले बढ़ रहे हैं तथा कुल मामलों में अभी तीन फीसदी मामले डेल्टा के पाए जा रहे हैं। लेकिन इस बीच इंपीरियल कालेज लंदन ने कहा कि ओमीक्रोन संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर डेल्टा की तुलना में कम नहीं प्रतीत होती है।
एडिनबर्ग यूनिवसिर्टी के एपिडेमोलाजिस्ट मार्क वुलहाउस ने कहा कि अभी यह आंकड़े बेहद सीमित दायरे के हैं। इसलिए किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है तथा इसके आधार पर कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता है। नई दिल्ली स्थित वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर कहते हैं कि अस्पताल में कितने ओमीक्रोन पीड़ित भर्ती हुए या नहीं इससे कोई नतीजा नहीं निकलता है। क्योंकि किसी देश में मध्यम लक्षणों वाले को अस्पताल में भर्ती करने की नीति है तो कहीं सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जाता है। यह उस देश की स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर भी निर्भर करता है।
संक्रमित लोगों में दोबारा संक्रमण के आसार कम
नेचर रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका की 70 फीसदी ओमीक्रोन संक्रमितों में ज्यादातर ऐसे हैं जो पहले डेल्टा या दूसरे वेरिएंट का सामना कर चुके हैं। वहां की 40 फीसदी आबादी टीके की एक या दो खुराक ले चुकी है। प्रोफेसर जुगल किशोर कहते हैं कि जो लोग पहले संक्रमित हो चुके हैं, उनमें ओमीक़ोन के फिर से संक्रमण के आसार न के बराबर हैं। होगा भी तो बेहद हल्का। जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ लेकिन टीके लगा चुके हैं, उन्हें संक्रमण हो सकता है लेकिन फिर भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबकि जिन्हें न संक्रमण हुआ है और न टीके लगा है, उन्हें संक्रमण गंभीर होने का खतरा है।