भारत में सार्वजनिक जीवन के हर व्यक्ति को किसी भी गतिविधि के ज़रिए किस प्रकार अपने मूल के साथ जुड़े रहना चाहिए, इसका बहुत अच्छा उदाहरण श्री वेंकैया नायडू जी ने प्रस्तुत किया है
एक छोटी से गतिविधि को वटवृक्ष बनाकर कैसे अपनी मातृभूमि व गांव की सेवा की जा सकती है, इसका वेंकैया जी से बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता
अगर हर गांव में एक व्यक्ति स्वयं की बजाए गांव के गरीबों, किसानों, महिलाओं व बच्चों की चिंता करे तो देश में एक भी गांव विकास से वंचित नहीं रहेगा।
स्वर्ण भारत ट्रस्ट की गतिविधियों के केंद्र में किसान, युवा, महिलाएं और विद्यार्थी हैं और जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है, उन सभी तबकों को ट्रस्ट की गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है
मैंने गृहमंत्री होने के नाते पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया को क़रीब से देखा है और पुराने रिकॉर्ड भी देखे, ज़्यादातर जो दल सत्ता में होते हैं उनके प्रभाव क्षेत्र के लोगों को पद्म पुरस्कार मिलते थे और सिफारिश के बगैर पद्म पुरस्कार की कल्पना ही नहीं कर सकते थे
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पद्म पुरस्कारों के आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर पारदर्शी बनाया और मेरिट के आधार पर अब ऐसे लोगों को पद्म पुरस्कार मिलना शुरू हुआ है, जिन्होंने ज़मीन पर भारत को आगे बढ़ाने, समाज को सुधारने, सुदृढ़ करने और समाज की दिक्कतों को कम करने के लिए काम किया है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया को इतना पारदर्शी और लोकतांत्रिक बना दिया है कि आज अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले आम लोगों को जब पद्म पुरस्कार मिलता है तो वे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बनते हैं
एक ग़रीब किसान परिवार में जन्म लेकर भारत का उपराष्ट्रपति बनना, अनेक विभागों का मंत्री बनना और हर जगह अपना योगदान देना, ये बहुत बड़ी बात है
जब अटल जी की सरकार में मंत्री बनने का मौक़ा आया तो उन्होंने स्वयं ग्रामीण विकास मंत्रालय चुना और ये भारत के गांवों के प्रति उनका लगाव दर्शाता है कि ग्रामीण भारत का विकास करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री बनकर किस प्रकार से वे योगदान दे सकते हैं
युवा अवस्था में वेंकैया नायडू जी ने धारा 370 के ख़िलाफ़ आंदोलन किया था, और मोदी जी के नेतृत्व में जब राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बिल प्रस्तुत हुआ तब वे ही भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति थे
पूरे जीवन में उन्होंने परिवारवाद के ख़िलाफ़ भारत के लोकतंत्र को स्वस्थ रखने का प्रयास किया