You dont have javascript enabled! Please enable it! ट्रैक्टरों का निर्यात अब तक के उच्‍चतम स्‍तर पर, वर्ष 2013 के बाद से लगभग 72 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई - Newsdipo
December 23, 2024

ट्रैक्टरों का निर्यात अब तक के उच्‍चतम स्‍तर पर, वर्ष 2013 के बाद से लगभग 72 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई

0

भारत के ट्रैक्टरों का निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2021 में बढ़कर 1025 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया जोकि अप्रैल-दिसंबर 2013 के 594 मिलियन डॉलर की तुलना में 72 प्रतिशत से भी अधिक है।

ट्रैक्टरों के निर्यात के प्रमुख गंतव्य स्थान अमेरिका (25.2 प्रतिशत), नेपाल (7.3 प्रतिशत), बांग्लादेश (6.5 प्रतिशत), थाईलैंड (5.4 प्रतिशत) तथा श्रीलंका (5.3 प्रतिशत) हैं।

वित्त वर्ष 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारतीय ट्रैक्टर उद्योग विश्व में सबसे बड़े उद्योगों के रूप में उभरा है और कुल वैश्विक ट्रैक्टर उत्पादन का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में पूंजीगत वस्तुओें तथा परियोजना आयात में रियायती दरों को धीरे धीरे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह इस सेक्टर में, जिसमें ट्रैक्टर भी शामिल है, घरेलू विनिर्माताओं के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने तथा क्षमता सृजन करने की दिशा में एक अन्य कदम है।

भारत के निर्यात में लगातार तेजी देखी जा रही है। उल्लेखनीय है कि भारत का वस्तु व्यापार जनवरी 2022 में 23.69 प्रतिशत बढ़कर जनवरी 2021 के 27.54 बिलियन डॉलर की तुलना में 34.06 बिलियन डॉलर हो गया। जनवरी 2020 के 25.85 बिलियन डॉलर की तुलना में इसने 31.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई।

भारत का वस्तु व्यापार 2021-22 (अप्रैल_जनवरी) में 46.53 प्रतिशत बढ़ा और यह 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 228.9 बिलियन डॉलर की तुलना में 335.44 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। 2019-20 ( अप्रैल-जनवरी) के 264.13 बिलियन डॉलर की तुलना में इसमें 27.0 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई ।

सरकार ने भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2014 के बाद से कई सक्रिय तथा प्रभावी कदम उठाये हैं। एक अप्रैल, 2015 को एक नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 आरंभ की गई। इस नीति में अन्य बातों के अतिरिक्त, पहले की निर्यात संवर्धन स्कीमों को युक्तिसंगत बनाया गया तथा दो नई योजनाएं अर्थात वस्तुओं के निर्यात में सुधार लाने के लिए भारत से वस्तु निर्यात स्कीम (एमईआईएस) तथा सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के लिए भारत से सेवा निर्यात स्कीम (एसईआईएस) आरंभ की गईं। इन योजनाओं के तहत जारी ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स को पूरी तरह हस्तांतरणीय बनाया गया।

विदेश व्यापार नीति (2015-20) की मध्यावधि समीक्षा (2017) की गई तथा सुधारात्मक कदम उठाये गए।

कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण विदेश व्यापार नीति (2015-20) की अवधि को एक वर्ष अर्थात 31-03-2022 तक विस्तारित कर दिया गया।

लॉजिस्टिक्‍स सेक्टर के समेकित विकास के लिए वाणिज्य विभाग में एक नए लॉजिस्टिक्‍स प्रभाग का निर्माण किया गया।

निर्यातकों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए 1.4.2015 से शिपमेंट से पहले तथा शिपमेंट के बाद के रूपया निर्यात ऋण पर ब्याज समकरण स्कीम लागू की गई।

सरकार ने सूक्ष्म, लघु तथा मझोले उद्यमियों (एमएसएमई) के निर्यातकों सहित नए तथा संभावित निर्यातकों तक पहुंचने तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उन्हें प्रवेश कराने में सक्षम बनाने के लिए विदेश व्यापार के विभिन्न पहलुओं पर अनुकूलन कार्यक्रमों, परामर्श सत्रों, व्यक्तिगत सुगमीकरण आदि के जरिये उनका संरक्षण करने तथा भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से एक निर्यात बंधु स्कीम का कार्यान्वयन करना आरंभ किया।

निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीमों अर्थात निर्यात योजना के लिए व्‍यापार अवसंरचना (टीआईईएस) तथा बाजार पहुंच पहल (एमएआई) स्कीम के जरिये उन्हें सहायता उपलब्ध कराई गई।

कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 6 दिसंबर, 2018 को एक व्यापक ‘‘कृषि निर्यात नीति” आरंभ की गई।

कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए माल ढुलाई के नुकसान को कम करने के लिए माल ढुलाई के अंतरराष्ट्रीय घटक के लिए सहायता उपलब्ध कराने हेतु एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘निर्दिष्ट कृषि उत्पादों के लिए परिवहन तथा विपणन सहायता’ आरंभ की गई थी।

निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट योजना (रोडटेप) तथा राज्य और केंद्रीय लेवी तथा करों में छूट (आरओएससीटीएल) स्कीम 01.01.2021 से आरंभ की गई है।

व्यपार को सुगम बनाने तथा निर्यातकों द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के उपयोग को बढ़ाने के लिए उत्पत्ति के प्रमाणपत्र के लिए एक कॉमन डिजिटल प्लेटफार्म लांच किया गया है।

विशिष्ट कार्य योजनाओं का अनुसरण करके सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने तथा विविधता लाने के लिए 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों की पहचान की गई है।

प्रत्येक जिले में निर्यात संभावना वाले उत्पादों की पहचान कर जिलों को निर्यात हब के रूप में लांच किया गया है। इन उत्पादों के निर्यात के लिए बाधाओं को दूर किया गया है तथा जिले में रोजगार सृजन के लिए स्थानीय निर्यातकों/विनिर्माताओं की सहायता की जा रही है।

भारत के व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी तथा निवेश लक्ष्यों को बढ़ावा देने की दिशा में विदेशों में भारतीय मिशनों की सक्रिय भूमिका को बढ़ाया गया है।

कोविड महामारी को देखते हुए विशेष रूप से एमएसएमई, जिनकी निर्यात में प्रमुख हिस्सेदारी है, के लिए विभिन्न बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र राहत उपायों के माध्यम से घरेलू उद्योग की सहायता करने के लिए पैकेज की घोषणा की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *