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कभी भारत के परमाणु परीक्षणों के खिलाफ खड़ा था यूक्रेन, आज पीएम मोदी से मांग रहा मदद

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नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन में जंग शुरू हो चुकी है और ताबड़तोड़ हमले करने के बाद रूस अब यूक्रेन के सैनिकों से सरेंडर करने के लिए कह रहा है। ऐसे में यूक्रेन दुनियाभर की सभी प्रमुख शक्तियों से रूस को रोकने का अनुरोध कर रहा है। उसने भारत सरकार से भी रूस पर दवाब बनाने की अपील की है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की की अगुवाई वाली सरकार ने भारत से रूस से शांति के लिए बातचीत करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत का रूस के साथ अच्छा ताल्लुक है।

गुरुवार (24 फरवरी 2022) को भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने पीएम मोदी से रूस के साथ तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाने का अनुरोध करते हुए कहा कि पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। दरअसल, यूक्रेन भारत के असर को स्वीकार कर रहा है औऱ चाहता है कि पीएम मोदी इसमें दखल दें। इससे पहले कि यूक्रेन पर बात करें हम दोनों देशों के बीच संबंधों को जानना जरुरी है। क्योंकि, पहले भारत के साथ यूक्रेन के रिश्ते अच्छे नहीं थे। बता दें कि जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो यूक्रेन उन देशों में शामिल था, जिसने 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों के प्रति सख्त विरोध जताया था और 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद में भारत के कदम की निंदा की थी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के नाम से पाँच परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। उस दौरान यूक्रेन 25 अन्य देशों के साथ भारत के परमाणु परीक्षणों की कड़ी निंदा करते हुए यूनाइटेड नेशंस (UN) के प्रस्ताव 1172 के पक्ष में वोट किया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पारित किए गए इस प्रस्ताव में माँग की गई थी भारत अपने परमाणु परीक्षणों को रोके और NPT और CTBT पर दस्तखत करे। इसके साथ ही इस प्रस्ताव में भारत से परमाणु कार्यक्रमों को रोकने, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और प्रोडक्शन पर भी रोक लगाने के लिए कहा गया था। इन सब में यूक्रेन ने UN का साथ दिया था।

जैसै कि आज हम सभी कह रहे हैं कि रूसी आक्रमण की वजह से यूक्रेन एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। दरअसल, यूक्रेन अपने ताकतवर दोस्तों के साथ रहना चाहता है, मगर रूस मामले में अमेरिका भी उसकी मदद नहीं कर पा रहा है। वहीं, आज से लगभग 22 वर्ष पूर्व भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं के खिलाफ खड़े होने वाला यूक्रेन आज चाहता है कि भारत उसका साथ दे। वहीं, अगर रूस की बात करें तो उसके साथ भारत के अहम् रक्षा सौदे हुए हैं, साथ ही रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।

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