You dont have javascript enabled! Please enable it! "आगरा में गूंजा धमाका: धूल का गुबार और गिरती दुकानें, किसी ने समझा भूकंप तो किसी को लगा बम फटा!" - Newsdipo
June 15, 2025

“आगरा में गूंजा धमाका: धूल का गुबार और गिरती दुकानें, किसी ने समझा भूकंप तो किसी को लगा बम फटा!”

0
agra-shops-collapse_3ee4fe8d02f9cca2a4429d31c9c38d88.jpeg

यह है आगरा का वो दिल दहला देने वाला हादसा, जिसने सेक्टर-7 को दहशत और अफरा-तफरी के मंजर में बदल दिया। शनिवार दोपहर का वक्त था, घड़ी की सुइयां 3:30 पर ठहरी थीं, जब ज़ोरदार धमाके के साथ आवास विकास कॉलोनी की पांच दुकानें ज़मीनदोज़ हो गईं। कुछ ही सेकंड में धूल का ऐसा गुबार उठा कि लोगों को भूकंप या बम धमाके का भ्रम हो गया। चीख-पुकार और भगदड़ मच गई।

हादसे की जड़ में थी दीवार तोड़ने की कोशिश

यह हादसा तब हुआ जब दो भाइयों—किशनचंद उपाध्याय और विष्णु उपाध्याय—अपनी दुकानों के बीच की दीवार तोड़ रहे थे ताकि दुकान का दायरा बड़ा किया जा सके। लेकिन, इस एक लापरवाही ने सबकुछ तबाह कर दिया। देखते ही देखते पूरी की पूरी पांच दुकानें ढह गईं, और मलबे में नौ लोग दब गए।

तीन घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस, फायर ब्रिगेड, नगर निगम की टीमें और स्थानीय लोग मौके पर जुट गए। तीन घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में सात लोगों को जिंदा निकाला गया, लेकिन किशनचंद और विष्णु की मलबे में ही मौत हो गई। दोनों भाइयों की मौत ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया।

अगर रात का समय होता, तो बड़ा हादसा तय था

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस परचून की दुकान के पास ये हादसा हुआ, वहीं से शराब पीने वाले लोग नमकीन, पानी और गिलास लेने आया करते थे। रात में यहां भारी भीड़ रहती थी। अगर यह हादसा रात को होता, तो जानमाल का नुकसान और भी भयावह हो सकता था।

पुलिस ने रास्ते किए सील, भारी भीड़ बनी मुसीबत

हादसे के तुरंत बाद पुलिस ने सेक्टर-4 और सेक्टर-1 की तरफ से आने वाले रास्तों को सील कर दिया। लेकिन, घटनास्थल पर भारी भीड़ जुटने से रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आईं। लोगों को बार-बार हटाना पड़ा।

पहले भी गिर चुकी है शराब की दुकान

गौर करने वाली बात यह है कि ठीक एक साल पहले, सेक्टर-12 में बारिश के कारण एक शराब की दुकान ढह चुकी थी। हालांकि, तब कोई जान नहीं गई थी। लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर निकला।

कब-कब क्या हुआ?—हादसे की पूरी टाइमलाइन

  • 3:30 PM: दीवार गिरने के साथ पांच दुकानें ढहीं
  • 3:45 PM: मलबे में दबे लोगों की चीखें सुनाई दीं
  • 4:00 PM: पुलिस और स्थानीय लोग बचाव कार्य में जुटे
  • 4:30 PM: बुल्डोज़र बुलाए गए, मलबा हटाने का काम शुरू
  • 6:15 PM: सात घायलों को अस्पताल भेजा गया
  • 6:20 PM: दो भाइयों को निकाला गया—मौत हो चुकी थी
  • 7:30 PM: मलबा पूरी तरह हटा लिया गया

सबक और सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है—बिना इंजीनियरिंग जांच और परमिशन के दुकानों की दीवारें क्यों तोड़ी गईं? क्या प्रशासन ने पहले कभी इस तरह के निर्माण कार्यों पर नज़र नहीं रखी?

इस दर्दनाक हादसे ने न सिर्फ दो परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे शहर को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि लापरवाही की कीमत कितनी भारी हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *