उत्तराखंड के लिए गौरव का पल
अब बीटिंग रिट्रीट🇮🇳 में सुनाई देगी उत्तराखंडी लोकगीत “झन दिया बौज्यू” की धुन🎼🎹
आज एक बार फिर उत्तराखंडवासियों को गौरवांवित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है और इस बार कारण है, कई दशक पुराने हमारे बेहद प्रसिद्ध लोकगीत “छाना बिलौरी” का इस वर्ष की बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में चुना जाना।
दशकों पुराने इस लोकगीत को राष्ट्रीय स्तर पर चुने जाने से देवभूमि उत्तराखंड में खुशी की लहर है।
समय-समय पर हमें इस लोकगीत के कई रूपांतर देखने को मिले। कभी यह लोकप्रिय गायक ‘गोपाल बाबू गोस्वामी जी’ द्वारा अपनी मधुर आवाज🎤 में गाया गया तो कभी ‘गौरव पांडेय’ द्वारा अपने निराले ही अंदाज़ में🎹 लेकिन इन सबके बीच इस लोकगीत को अगर किसी ने सबसे अधिक गुनगुनाया तो वो थीं हमारे पहाड़ की कर्मठ व जुझारू महिलाएं जो कि इस लोकगीत के बोल में छिपे वास्तविक दर्द को समझ पाईं।
यह लोकगीत पहाड़ी नारी की हाडतोड मेहनत व भौगोलिक पीढ़ा को तो बयां करता ही है साथ ही यहां की महिलाओ की विपरीत परिस्थितियों में भी पहाड़ को अपने खून पसीने से सींचकर हराभरा 🌱 करने की जीवटता को भी दर्शाता है।
पहाड़⛰️पर रोज़मर्रा जीवन में समस्याएं चाहे कितनी भी जटिल क्यों न रही हों पर पहाड़ की महिलाओं👥 ने हमेशा उनका डटकर सामना किया है और उन पर विजय पाई है।
ऐसे ही पहाड़ी जीवन के उतार-चढ़ाव को बेहद ही खूबसूरत अंदाज़ में चंद प्रचलित शब्दों का ताना बाना बुनते हुए इस लोकप्रिय गीत को लिखा गया और वो भी पहाड़ी परिवेश में पली-बड़ी एक बेटी👩की ओर से….जो बनावटी रूठने में अपने पिता से कह रही है कि वो उसको छाना बिलौरी में न ब्याह दें। वहां बहुत घाम (घूप) है…मेरा चंदा जैसा मुखड़ा भी है और मैं आपकी लाड़ली भी हूं…इत्यादि
जैसे-जैसे इस गीत ने प्रसिद्धि पाई वैसे-वैसे इसके निर्माण/प्रचलन से जुडी कई लोकल कहानियां/कथाएं/खबर भी प्रसारित हुईं जो कि नेट🖥️ पर एक क्लिक में उपलब्ध हैं…जिनमें से कुछ खबरों को हमने समेटने का प्रयास किया है और कुछ का लिंक भी शेयर किया जा रहा है।
हरिद्वार पुलिस इस गीत के अस्तित्व तक आने एवं इस मुकाम तक पहुंचने में लगे प्रत्येक सदस्य की मेहनत को सलाम करती है साथ ही उज्जवल भविष्य की कामना भी करती है💐