उत्तराखंड: रोडवेज बसों की कमी गहराने के आसार, 100 नई बसों की खरीद के लिए जारी टेंडर में नहीं मिली कोई भी कंपनी

उत्तराखंड में रोडवेज बसों का संकट गहराने की आशंका, नई बसों की खरीद अटक गई
उत्तराखंड में सार्वजनिक परिवहन को लेकर मुश्किलें बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। राज्य परिवहन निगम द्वारा 100 नई बसों की खरीद के लिए जारी किया गया टेंडर पूरी तरह विफल रहा, क्योंकि किसी भी ऑटोमोबाइल कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में बसों की खरीद प्रक्रिया फिलहाल के लिए टल गई है। खासतौर पर दिल्ली में केवल बीएस-6 मानक की बसों को ही प्रवेश की अनुमति मिलने के बाद यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है।
पुराना बेड़ा, बढ़ती समस्या
परिवहन निगम के पास कभी 950 बसों का बेड़ा था, लेकिन समय के साथ वह संख्या घटती चली गई। वर्ष 2023-24 में 12 बसें कंडम घोषित की गईं और इस साल 55 और बसें सेवा से बाहर हो रही हैं। बीते वर्ष निगम ने 150 नई बसें खरीद कर संख्या को 930 तक पहुंचाया था, मगर 2025-26 में 480 बसों के एक साथ कंडम होने की आशंका ने निगम की चिंता और बढ़ा दी है।
पहले निगम ने 175 नई बसों का प्रस्ताव बनाया था, जिनमें से 100 डीजल और 75 सीएनजी बसें शामिल थीं, लेकिन बाद में सीएनजी बसों के विकल्प को तकनीकी और व्यावहारिक कारणों से छोड़ दिया गया।
टेंडर में नहीं दिखी कोई दिलचस्पी
मार्च 2025 में निगम ने 100 डीजल बसों की खरीद के लिए टेंडर आमंत्रित किया, लेकिन एक महीने तक कोई कंपनी आगे नहीं आई। मजबूरी में निगम को यह टेंडर रद्द करना पड़ा। अब इसे दोबारा नए सिरे से जारी किया जाएगा। लेकिन यदि प्रक्रिया में सब कुछ योजना के अनुसार भी चला, तो बसों की आपूर्ति में छह महीने तक का समय लग सकता है। यानी नई बसें इस साल के अंत या 2026 की शुरुआत में ही आ पाएंगी।
चारधाम यात्रा में नहीं होगी परेशानी
चारधाम यात्रा को लेकर निगम ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार 125 बसें यात्रा मार्गों पर तैनात की जाएंगी। निगम की प्रबंध निदेशक रीना जोशी ने बताया कि यात्रियों की भीड़ बढ़ने पर बसों की संख्या बढ़ाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। सभी बसें राज्य के अलग-अलग डिपो से भेजी जाएंगी, ताकि किसी एक क्षेत्र की सामान्य सेवाएं बाधित न हों।
रीना जोशी का कहना है, “हम दोबारा टेंडर निकालने जा रहे हैं और उम्मीद है कि इस बार कंपनियों की भागीदारी मिलेगी। जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, जल्द ही राज्य को नई बसें मिलने लगेंगी।”
निष्कर्ष:
उत्तराखंड में सार्वजनिक परिवहन को दुरुस्त रखने की चुनौती अब गंभीर मोड़ पर है। यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यात्रियों को बसों की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।