उत्तराखंड : विदेशी कलाकार को भा गया ऋषिकेश मां गंगा को अपनी पेंटिंग के माध्यम से उकेरा
मां गंगा में अपनी तूलिका के रंग ढूंढती विदेशी कलाकार एक यात्री कलाकार इनेसा गार्डर ने भारत देश की अपनी पहली यात्रा की और यहाँ के स्थानीय सुंदरता से मोहित हो गई। उत्तराखंड की आध्यात्मिकता, परंपराएं और समृद्ध रंगीन संस्कृति। किंवदंतियों, लोगो की आस्था व विश्वास ने उसे गंगा नदी से जुड़ी पेंटिंगश्रृंखला बनाने का के सुझाव दिया, क्योंकि उसने अपनी पूरी यात्रा में अपना कला अभ्यास जारी रखा । । वह 2,5 साल तक भारत में रहीं और गंगा के तटों पर रोजाना गंगा को चित्रण करने से लेके ऋषिकेश में अपने स्टूडियो में तेल के रंगों के साथ माँ गंगा की पेंटिंग को अंतिम रूप देने का सफर तय किया। स्टूडियो में इनेसा विभिन्न बनावट और रंग पट्टियों के साथ प्रयोग कर रही थी, वह खोज में थी रहस्यमय नदी की पानी की सतह का प्रतिनिधित्व करने वाले रंग के समृद्ध बहुआयामी प्रतिबिंब को दर्शाने में सफल होने वाली तकनीक की।
उसने वह पेंटिंग तकनीक विकसित करी जिसमें एल्यूमीनियम शीट शामिल थी, क्योंकि ये शीट ही उसे गंगा के वास्तविक और रहस्यमी प्रतिबिंब को दर्शाने में सार्थक हुआ। और वह एकदम प्राकृतिक दिखाया पड़ा। उसने म गंगा का ध्यान कर उनसे आज्ञा मांगी की वो अपने रूप को अपने रंग परतों को बनाने के लिए उसे प्रेरणा व हिम्मत दे। उसने यह कलाकृतियों इसलिए बनाई ताकि सभी का ध्यान मे गंगा की अलेकिक सुंदरता को ओर आकर्षित हो सके व लोग उसकी असली सुंदरता को जाने । कलाकार के शोध और उसके कला अभ्यास की उपबलधियों को तब लोगो ने माना जब उसने 2019 में ऋषिकेश अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान भारत में रहते हुए अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कियाऔर 2020 में संत सेवा आश्रम में अंतर्राष्ट्रीय कला उत्सव में हिस्सा ले वाह वाही बटोरी ।