उत्तराखंड में पुलिस से ज्यादा अपराधियों को भोजन भत्ता।
वैसे तो संतुलित आहार हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। मगर बात बात जब कानूनी रूप से दी जाने वाले सुविधाओं की हो तो तुलना भी जरूरी हो जाती है। यह तुलना हो रही पुलिस और अपराधियों के बीच सरकार की ओर से पुलिस कार्मिकों के लिए आहार भत्ते के रूप में 50 रुपये रोजाना तय किए गए हैं। जबकि थाने कोतवाली के लाकअप में बंद आरोपितों को 100 रुपये डाइट दी जा रही है।
पुलिस कार्मिकों को सरकार की ओर से प्रत्येक माह पौष्टिक आहार भत्ता दिया जाता है। इसी तरह थाने के लाकअप में बंद आरोपितों या अपराधियों को खुराक के तौर पर भी भत्ता दिया जाता है। दारोगा और सिपाही को सरकार की ओर से हर माह 1500 रुपये आहार भत्ता दिया जा रहा है। यानी रोज का 50 रुपये। इसमें सुबह और शाम दो टाइम का खाना 25-25 रुपये का होता है। वहीं लाकअप में लाए जाने वाले आरोपितों या अपराधियों को मिलने वाले खाने को पुलिस की भाषा में खुराक कहा जाता है। सरकार की ओर से उन्हें खाने के 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाने का प्रविधान है। हालांकि थाने के लाकअप में किसी आरोपित को पूछताछ के लिए सीमित अवधि के लिए ही लाकअप में रखना पड़ता है। ट्रांजिट रिमांड पर लाने या जेल भेजने के लिए अपराधी को भी सीमित समय ही लाकअप में रोका जा सकता है। इस दौरान पुलिस को एक दिन में उन्हें दो टाइम खाना खिलाने के लिए 50-50 रुपये मिलते हैं।
3500 रुपये महीने खाने पर खर्च : पुलिस विभाग में तैनात एक सिपाही ने बताया कि कई वर्षों से उन्हें 1500 रुपये पौष्टिक आहार भत्ता दिया जा रहा है। वह अपने स्वजनों से अलग रहते हैं। आज के समय में यह बेहद कम है। यदि वह होटल या ढाबे पर भी खाए तो औसत खर्च 4000 रुपये से कम नहीं आता।