उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर संकट! 🗳️ OBC आरक्षण अध्यादेश लटका, चारधाम यात्रा से और देरी

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया एक बार फिर अटक गई है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में OBC आरक्षण से जुड़ा अध्यादेश पेश नहीं किया गया, जबकि 1 जून को जिला पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अब चारधाम यात्रा के चलते चुनाव प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है।
🛑 क्यों हो रही है देरी?
- OBC आरक्षण का मुद्दा: पंचायत चुनाव से पहले पंचायत एक्ट में संशोधन कर OBC आरक्षण तय करना जरूरी है।
- लंबी प्रक्रिया: संशोधन के बाद आरक्षण का ड्राफ्ट जारी होगा, फिर आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी और उनका निपटारा होगा।
- चारधाम यात्रा की व्यस्तता: मई-जून में यात्रा शुरू होने से प्रशासनिक मशीनरी चुनाव की तैयारी में पूरी तरह नहीं लग पाएगी।
⏳ अब क्या होगा?
📅 1 जून तक की चुनौती: जिला पंचायत प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, लेकिन चुनाव कराना मुश्किल लग रहा है।
🔄 प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है: अगर चुनाव नहीं हो पाते, तो सरकार को प्रशासकों की अवधि बढ़ानी पड़ सकती है।
🗣️ अधिकारियों का बयान:
- पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार का कहना है – “चुनाव की तैयारी चल रही है, 28 दिन का समय चाहिए।”
- राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है – “सरकार को आरक्षण तय करना है, उसके बाद ही चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी।”
🚨 क्या है समाधान?
सरकार को जल्द से जल्द OBC आरक्षण का अध्यादेश लाना होगा, ताकि चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सके। वरना, प्रशासनिक अराजकता का खतरा बढ़ सकता है।
✍️ निष्कर्ष:
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा के बीच संतुलन बनाना बड़ी चुनौती है। अगर जल्द ही OBC आरक्षण का फैसला नहीं हुआ, तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया और भी विलंबित हो सकती है।
📢 क्या आपको लगता है कि सरकार को चुनाव जल्द कराने चाहिए? कमेंट में बताएं! ⬇️