You dont have javascript enabled! Please enable it! उत्तराखंड में चढ़ते पारे के साथ बिजली की खपत ने तोड़े रिकॉर्ड, मांग 3.7 करोड़ यूनिट से बढ़कर 4.2 करोड़ यूनिट तक पहुंची - Newsdipo
July 26, 2025

उत्तराखंड में चढ़ते पारे के साथ बिजली की खपत ने तोड़े रिकॉर्ड, मांग 3.7 करोड़ यूनिट से बढ़कर 4.2 करोड़ यूनिट तक पहुंची

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उत्तराखंड में चढ़ते पारे के साथ बिजली की मांग में जबरदस्त उछाल, बाजार से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही ऊर्जा

उत्तराखंड में जैसे-जैसे गर्मी ने रफ्तार पकड़ी है, वैसे-वैसे बिजली की मांग में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते पांच दिनों में ही बिजली की मांग 3.7 करोड़ यूनिट से छलांग लगाकर 4.2 करोड़ यूनिट तक जा पहुंची है। स्थिति यह हो गई है कि यूपीसीएल को अतिरिक्त बिजली के लिए ओपन मार्केट से ऊंचे दामों में खरीदारी करनी पड़ रही है।

पिछले वर्ष अप्रैल में राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 6.5 करोड़ यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थी। इस बार भी अप्रैल की शुरुआत से ही बिजली की डिमांड में लगातार इजाफा हो रहा है। 30 और 31 मार्च को जहां मांग 3.7 करोड़ यूनिट थी, वहीं 1 अप्रैल को थोड़ी गिरावट के साथ 3.6 करोड़ यूनिट रही। लेकिन उसके बाद ग्राफ फिर ऊपर चढ़ा—2 अप्रैल को 3.8 करोड़, 3 अप्रैल को 4 करोड़ और 4 अप्रैल को रिकॉर्ड 4.2 करोड़ यूनिट की मांग दर्ज की गई।

बर्फबारी की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें

बाजार से खरीदी जा रही बिजली की कीमतों ने भी चिंता बढ़ा दी है। सामान्य समय में जहां प्रति यूनिट लागत करीब 2.69 रुपये है, वहीं पीक समय में यही दर 10 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच रही है। आने वाले दिनों में तापमान के साथ-साथ मांग में और इजाफा तय माना जा रहा है, जिससे बाजार से बिजली खरीदना और भी महंगा सौदा साबित हो सकता है।

इस बार कम बर्फबारी ने जलविद्युत उत्पादन पर सीधा असर डाला है। यूजेवीएनएल जहां पिछले साल अप्रैल में प्रतिदिन औसतन 1.6 करोड़ यूनिट बिजली पैदा कर रहा था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 1 से 1.2 करोड़ यूनिट के बीच सिमट गया है। वर्तमान में यूपीसीएल को राज्य, केंद्र और अन्य स्रोतों से केवल 3.4 करोड़ यूनिट बिजली मिल रही है, जिससे रोजाना 80 से 85 लाख यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है।

बाजार से मिल रही बिजली महंगी, 10 रुपये तक पहुंचा रेट

निष्कर्ष:
प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग के लिए आने वाले दिन काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। यदि तापमान यूं ही चढ़ता रहा तो राज्य की ऊर्जा व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ सकता है।

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