वोट न देने का संकल्प लेकर गांव किया खाली
*50 फीसदी आबादी अब तक पलायन कर चुकी मझौडा गांव से।
*03 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा हाइवे से, पर गांव तक नहीं पहुंच पाई सड़क। *10 लाख रुपये हर साल का बजट ग्राम सभा में जारी होता है।
नैनीताल में मझेड़ा गांव के किमु तोक इलाके तक नहीं पहुंची मूलभूत सुविधा, आखिरी परिवार ने गांव छोड़ा
नैनीताल:चुनावों में किए गए अच्छे स्कूल, स्वास्थ्य, बिजली और पानी की आधारभूत सुविधाओं के वादे पूरे न होने पर नैनीताल जिले में मझेड़ा गांव के किमु तोक के आखिरी परिवार ने भी गांव छोड़ दिया। चंद्र भूषण पंत का परिवार हल्द्वानी चला गया। परिवार का कहना है कि जब जिंदगी की हर समस्या हमें खुद हल करनी है, तो नेताओं को वोट देने का कोई फायदा नहीं। इसलिए अब कभी मतदान नहीं करेंगे।
मझेड़ा गांव अल्मोड़ा हाईवे पर स्थित गरमपानी से मात्र तीन किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर स्थित है, जहां आज भी लोगों को पानी, सड़क जैसी सुविधाओं का इंतजार है। उत्तराखंड के ज्यादातर गांवों की तरह मझेड़ा भी पलायन की मार झेल रहा है।
रामलीला भी बंद: गरमपानी क्षेत्र की सबसे प्राचीन तथा प्रसिद्ध रामलीला मझेड़ा गांव में होती थी। यहां करीब सौ सालों से लगातार आयोजन हो रहा था। पर पलायन के कारण गांव में रामलीला करने वाले कलाकार ही नहीं बचे। मझेड़ा ग्राम बेतालघाट ब्लॉक की उन शीर्ष 10 ग्राम सभाओं में शामिल है, जहां विकास के लिए हर साल दस लाख का बजट जारी होता है लेकिन गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं।