देहरादून में केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा में ‘हरित अवसंरचना’ पर तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू
देहरादून। केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून, “हरित अवसंरचना” विषय पर “NHAI, CPWD, CCU, रेलवे, पावर सेक्टर और अन्य इंजीनियरिंग विभाग” के लिए21 से 23 फरवरी 2024 तक 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। यह कार्यक्रम भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा “वानिकी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण” योजना के तहत प्रायोजित है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश सहित पीडब्ल्यूडी, पीसीबी, सीसीयू, ब्रिडकुल, एनएचएआई आदि से कुल 27 इंजीनियर प्रतिभाग कर रहे है।
हरित अवसंरचना के प्रमुख घटकों में पार्क, हरित स्थान, वन, आर्द्रभूमि और अन्य प्राकृतिक क्षेत्र शामिल हैं जो जैव विविधता, जलवायु विनियमन, जल शुद्धिकरण और मनोरंजक अवसरों में योगदान करते हैं। शहरी और ग्रामीण नियोजन में प्रकृति को एकीकृत करके, हरित बुनियादी ढांचे का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाना, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार करना और समुदायों के समग्र कल्याण को बढ़ावा देना है।
डॉ. वीबी माथुर, पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और पूर्व निदेशक, भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून, प्रशिक्षण कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर उपस्थित थे। अपने मुख्य भाषण में उन्होंने प्रकृति इंजीनियरिंग, हरित बुनियादी ढांचे, हरित विकास और हरित अर्थव्यवस्था और नवाचार आदि के सिद्धांत पर जोर दिया, जो बुनियादी ढांचे के विस्तार और हरित कैंसर संबंधी चिंताओं के एकीकरण के बीच संतुलन बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर मीनाक्षी जोशी, भा.व.से., प्रधानाचार्या, केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून, अमलेंदु पाठक, भा. व. से, पाठ्यक्रम निदेशक और सभी संकाय सदस्यों ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया।